जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग भोपाल ने रिलायंस रिटेल लिमिटेड और अयोध्या बायपास स्थित रिलायंस स्मार्ट स्टोर के खिलाफ ग्राहक की शिकायत पर अहम आदेश सुनाया है। आयोग ने कंपनी को निर्देश दिए हैं कि वह ग्राहक से वसूले गए 19 रुपए अधिक मूल्य को 9% वार्षि
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इसके अलावा सेवा में कमी और मानसिक कष्ट के एवज में 3,000 रुपए और मुकदमा व्यय के रूप में 1,000 रुपए भी चुकाने होंगे। यह फैसला बैंच 1 के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल और सदस्य प्रतिभा पांडे ने 18 अगस्त को सुनाया।
यह मामला उपभोक्ता हरीश गेहलोत का है, जिन्होंने 9 मई 2024 को रिलायंस स्मार्ट स्टोर से जिलेट प्रेस्टो-3 का एक पैकेट खरीदा था। इसके लिए उन्होंने 169 रुपए अदा किए, जबकि पैकेट पर अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) केवल 150 रुपए अंकित था। इस तरह 19 रुपए ज्यादा वसूले गए। यही नहीं, गेहलोत का आरोप था कि बिल पर जीएसटी की राशि भी 25.82 रुपए अधिक ली गई। इस शिकायत के साथ उन्होंने स्टोर पर अनुचित व्यापार प्रथा अपनाने का गंभीर आरोप लगाया। गेहलोत ने आयोग से आर्थिक, शारीरिक और मानसिक क्षति के लिए कुल 49 लाख रुपए हर्जाने और 75 हजार रुपए परिवाद व्यय दिलाने की मांग की थी।
विपक्षी की दलीलें
कंपनी ने आयोग को बताया कि संबंधित जिलेट प्रेस्टो पैक बिक्री के लिए स्टोर में उपलब्ध ही नहीं था। सिस्टम में उसकी कीमत अपडेट न होने के कारण यह स्थिति बनी। स्टोर प्रबंधन का कहना था कि ग्राहक को साफ तौर पर बता दिया गया था कि यह प्रोडक्ट विक्रय हेतु नहीं है और गलती से बिलिंग हो गई।
उन्हें विकल्प दिया गया था कि या तो वे समान मूल्य का दूसरा उत्पाद ले लें या फिर पैसा वापस कर दिया जाएगा। कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि परिवादी ने स्टोर के कर्मचारियों और मैनेजर से अभद्र व्यवहार किया।
आयोग ने खारिज की कंपनी की दलील आयोग ने रिलायंस स्मार्ट स्टोर की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यदि कोई उत्पाद बिक्री हेतु नहीं है तो उसे ग्राहकों की पहुंच में क्यों रखा गया? स्टोर की यह लापरवाही साबित करती है कि ग्राहक से ज्यादा वसूली की गई और अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई गई। आयोग ने माना कि उपभोक्ता को नुकसान हुआ है और मानसिक कष्ट भी झेलना पड़ा है।
आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल और सदस्य डॉ. प्रतिभा पांडेय ने अपने आदेश में कहा
- रिलायंस रिटेल लिमिटेड और रिलायंस स्मार्ट स्टोर संयुक्त या अलग-अलग रूप से 19 रुपए ब्याज सहित दो माह के भीतर उपभोक्ता को लौटाएं।
- मानसिक कष्ट और सेवा में कमी के लिए 3,000 रुपए का हर्जाना दें।
- परिवाद व्यय के तौर पर 1,000 रुपए अतिरिक्त अदा करें।
- यदि कंपनी तय समय में राशि अदा नहीं करती है, तो परिवाद प्रस्तुति दिनांक से अदायगी की तारीख तक पूरी राशि पर 9% वार्षिक ब्याज लगेगा।
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